नवम्बर पहला पखवाड़ा
|
- नर्सरी में समय-समय पर सिंचाई करें|
- गड्ढों की खुदाई का कार्य पूरा करने के बाद गड्ढों को भरना शुरू कर दें| गोबर की खाद, सुपरफास्फेट व कीटनाशक आदि मिलाकर गड्ढों को भूमि से 15-20 सें.मी. ऊपर तक भरें|
- पौधों के तौलिए बनाने आरम्भ कर दें|
- पौधों के तने में 2- 3 फुट तक चुने का लेप लगाएं| चुने के घोल में नीला थोथा व अलसी का तेल भी मिलाएं| चूने के लेप के लिए 30 कि.ग्रा.चूना + 500 ग्रा. नीला थोथा + 500 मि.ली.अलसी के तेल का मिश्रण 100 ली. पानी में मिलकर उपयोग करें|
- पतझड़ शुरू होते ही 10 कि.ग्रा. यूरिया 200 ली. पानी के घोल का छिडकाव करें ताकि पौधों के पत्ते 7-10 दिनों में झड़ जाएं व पौधा सुसुप्तावस्था में आ जायें व शीतकालीन कार्यों के लिए तैयार हो सकें|
|
सदाबहार फल :-
- माल्टा-संतरा आदि फलों का तुड़ान करें|
- रोग व कीट ग्रस्त शाखाओं व अवांछनीय टहनियों को काट कर, कटे भाग पर बोर्डो पेस्ट लगाएं|
- आवश्यकतानुसार सिंचाई करें|
- पौधों के तौलियों में भूमि में नमी को संरक्षित करने के लिए घास कि मोती तह के रूप में मल्च बिछाएं|
|
नवम्बर दूसरा पखवाड़ा
|
शीतोष्ण फल :-
- तौलिए बनाने का कार्य जारी रखें | तौलियों को बनाते समय गोबर की गली-सड़ी खाद, सुपरफास्फेट व म्यूरेट ऑफ पोटाश भी मिला लें|
- फल के तनों पर चूना, नीला थोथा व अलसी के तेल के मिश्रण को पानी में मिला कर लेप लगाये |
- गड्ढों को भरने का कार्य पूरा कर लें तथा उचित किस्म के नर्सरी के पौधों का आरक्षण कर लें|
|